Chamunda Devi Mandir Karanwas
प्राचीनतम चामुंडा देवी मंदिर (आँखों वाली माता) कर्णवास । यही पर दानवीर राजा कर्ण सवा मन सोना गरीबो को दान में दिया करते थे !
यद्यपि वर्तमान में माँ चामुंडा के मंदिर का जीर्णोद्धार हो चूका है किन्तु प्राचीन काल से इस मंदिर की उपस्थिति मानी जाती है । कुछ लोगो का कहना है की चामुंडा देवी का मंदिर कल्याणी देवी के मंदिर से भी प्राचीन है कहा जाता है की राजा कर्ण रात्रि में माँ चामुंडा के मंदिर में आता था और १ बड़े कडाहे में तेल खुलकर उसमे कूद पड़ता था जब उसका सरीर भली भांति तेल में भुन जाता तो उसे निकाल कर माँ उसकी हड्ड्यो को एकत्र कर उनपर अमृत छिड़क कर माँ चामुंडा देवी पुनः जीवित कर देती थी और प्रसन्न होकर सवा मन सोना दिया करती थी जिसे कर्ण प्रातः काल होते ही गरीबो को दान में दिया करता था इस प्रकार कर्ण ने आजीवन इस खेरे पर सवामन सोने का दान प्रतिदिन किया था । आज भी मान्यता है की चामुंडा देवी से मांगी हुई मुराद अवश्य पूरी होती है ।
Chamunda Devi Mandir of karanwas :-
यद्यपि वर्तमान में माँ चामुंडा के मंदिर का जीर्णोद्धार हो चूका है किन्तु प्राचीन काल से इस मंदिर की उपस्थिति मानी जाती है । कुछ लोगो का कहना है की चामुंडा देवी का मंदिर कल्याणी देवी के मंदिर से भी प्राचीन है कहा जाता है की राजा कर्ण रात्रि में माँ चामुंडा के मंदिर में आता था और १ बड़े कडाहे में तेल खुलकर उसमे कूद पड़ता था जब उसका सरीर भली भांति तेल में भुन जाता तो उसे निकाल कर माँ उसकी हड्ड्यो को एकत्र कर उनपर अमृत छिड़क कर माँ चामुंडा देवी पुनः जीवित कर देती थी और प्रसन्न होकर सवा मन सोना दिया करती थी जिसे कर्ण प्रातः काल होते ही गरीबो को दान में दिया करता था इस प्रकार कर्ण ने आजीवन इस खेरे पर सवामन सोने का दान प्रतिदिन किया था । आज भी मान्यता है की चामुंडा देवी से मांगी हुई मुराद अवश्य पूरी होती है ।
Chamunda Devi Mandir of karanwas :-
Chamunda Devi Mandir karanwas |
Chamunda Devi karanwas |
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